मध्यप्रदेश में अभी चार दिन और बारिश के साथ कुछ इलाकों में ओले गिरने की संभावना है, और इस अलर्ट ने किसानों की चिंता को एक बार फिर बढ़ा दिया है. बता दें कि इस समय खेत में फसलें कटने के लिए तैयार है लेकिन बारिश और ओले गिरने के कारण किसानों की फसलें खराब हो रही है. मौसम विभाग ने आने वाले चार दिनों में जबलपुर, शहडोल, ग्वालियर, चंबल, दतिया, छिंदवाड़ा जिलों में बारिश के साथ ही कुछ इलाकों में ओले गिरने की संभावा जताई है. यानि की नवरात्रि के नौ दिनों तक बारिश होने की संभावना है. वहीं दूसरी ओर शिवराज सरकार ने किसानों को इस संकट की खड़ी में साथ खड़े होने का पूरा भरोसा दिया है. सीएम शिवराज ने बीते दिनों खुद खेतों में पहुंचकर किसानों की फसलों को देखा था.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फसल के नुकसान का आकलन करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की और किसानों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया. 25 मार्च तक सर्वे पूरा कर लिया जाएगा, जिसके बाद किसानों के बीच मुआवजे का वितरण कर दिया जाएगा. जिन किसानों की 50 प्रतिशत से अधिक फसल बर्बाद हो गई है, उन्हें 32,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा दिया जाएगा, और बाकी को फसल बीमा योजना के तहत राहत मिलेगी. बता दें कि मध्य प्रदेश में लगभग 70% ग्रामीण आबादी कृषि का समर्थन करती है. बारिश आधारित खेती और छोटे खेतों की प्रबलता के तहत 72% क्षेत्र के साथ, जलवायु परिवर्तन का कृषि उत्पादकता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है. मध्य प्रदेश के कुछ गांवों ने जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिए प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाया है.
मध्य प्रदेश में हाल ही में हुई बारिश ने किसानों और उनकी फसलों को प्रभावित किया है. बता दें कि भारी बेमौसम बारिश ने फसलों की कटाई को रोक दिया है और फसलों को नुकसान पहुँचाया है, जबकि कीटों के हमले का खतरा भी अब बढ़ चुका है. बारिश के कारण मक्का और सोयाबीन की फसल या तो नष्ट हो गई है या पीली पड़ गई है. वहीं समतल खेत कीचड़ से भरे चुके हैं. राज्य के पहाड़ी इलाकों की बात करें तो यहाँ से मिट्टी के कटाव के कारण फसल की पौध नष्ट हो गई है. धान की खेती के लिए बने बांध टूट कर बह गए हैं.