खजुराहो। खजुराहो में आयोजित हो रहे 47वे नृत्य महोत्सव के समापन कार्यक्रम में कथक नृत्य की प्रस्तुति देने अमिता खरे (Amita Khare) खजुराहो पहुंची, जहां कैमरा24 संवाददाता ने अमिता खरे से बात की और खजुराहो नृत्य महोत्सव के आयोजन के साथ ही उनके जीवन परिश्रम के बारे में जाने। मुख्य बातें-
- हमारी तपस्या का फल है यह मंच: अमिता खरे
- कथक की प्रारंभिक शिक्षा घर से ली: अमिता खरे
- 10 से 12 वर्ष तक कथक की शिक्षा ली: अमिता खरे
- देश तथा विदेश में कई जगहों पर प्रोग्राम किए: अमिता खरे
- अपनी कला को समय देकर निखारने की जरूरत: अमिता खरे
- खजुराहो नृत्य महोत्सव नंबर 1 : अमिता खरे
संवाददाता राजीव शुक्ला से चर्चा करते हुए कहा, कि एक बुंदेलखंडी होने के नाते खजुराहो नृत्य महोत्सव में शामिल होना मेरे लिए गौरवमई छड़ है। बांदा में जन्मी एवं छतरपुर में अपनी शिक्षा ग्रहण करने वाली अमिता खरे ने नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा अपने घर से ही अपने सगे मौसा जी जोकि पद्मश्री बिरजू महाराज के शिष्य रहे हैं उन से प्राप्त की, उसके बाद गांधी आश्रम में आपने श्री राम कृष्ण चैरसिया जी से इस नृत्य की विधिवत शिक्षा ग्रहण की।
वर्तमान में भोपाल के डीपीएस स्कूल में संगीत एवं नृत्य की शिक्षा दे रही हैं, फिलहाल खजुराहो में अपने ग्रुप के साथ नृत्य की प्रस्तुति देने के लिए आई हुई हैं जहां पर आकर वह काफी प्रसन्न भी है।
अमिता खरे ने खजुराहो नृत्य महोत्सव को देश का नंबर 1 नृत्य महोत्सव कहा, खजुराहो का यह नृत्य महोत्सव जिसमें देश का प्रत्येक नृतक भाग लेकर अपने आप को सौभाग्यशाली मानता है ,उस मंच के माध्यम से यह अपने आप को पाकर एवं यहां प्रस्तुति देने के लिए वर्षों से लालायित थी जो उनका सपना पूरा हुआ।