कोदरिया में भागवत कथा का छठवा दिन, कृष्ण रुक्मणी का विवाह सम्पन्न

  • पंडित जितेन्द्र पाठक द्वारा कथा का वाचन किया गया

कोदरिया। इंदौर जिले के महू अंतर्गत ग्राम कोदरिया के ब्रजधाम आश्रम में भागवत कथा के छठवे दिन कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की लीला का विस्तार पूर्वक वर्णन कर मंचन का अयोजन किया गया। बता दें कि पंडित जितेन्द्र पाठक द्वारा कथा का वाचन किया जा रहा है जहां इस दिन कृष्ण रुक्मणी की आकर्षक झांकी बनाई गई। जिनके दर्शन करने बड़ी संख्या में कई श्रद्धालु पहुंचे। VIDEO

कथा में बताया गया कि महाराज भीष्म अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु उनका पुत्र रुक्मणी राजी नहीं था। वह महाराज भीष्म अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु उनका पुत्र रुक्मणी राजी नहीं था। वह रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। रुक्मिणी इसके लिए जारी नहीं थीं। विवाह की रस्म के अनुसार जब रुक्मिणी माता पूजन के लिए आईं तब श्रीकृष्णजी उन्हें अपने रथ में बिठा कर ले गए। तत्पश्चात रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण के साथ हुआ। ऐसी लीला भगवान के सिवाय दुनिया में कोई नहीं कर सकता।

यह कथा शनिवार को बृजधाम आश्रम में चल रही भागवत कथा में पंडित जितेंद्र पाठक जी ने कही। कहा कि भागवत कथा ऐसा शास्त्र है। जिसके प्रत्येक पद से रस की वर्षा होती है। इस शास्त्र को शुकदेव मुनि राजा परीक्षित को सुनाते हैं। राजा परीक्षित इसे सुनकर मरते नहीं बल्कि अमर हो जाते हैं। प्रभु की प्रत्येक लीला रास है। हमारे अंदर प्रति क्षण रास हो रहा है, सांस चल रही है तो रास भी चल रहा है, यही रास महारास है इसके द्वारा रस स्वरूप परमात्मा को नचाने के लिए एवं स्वयं नाचने के लिए प्रस्तुत करना पड़ेगा, उसके लिए परीक्षित होना पड़ेगा। जैसे गोपियां परीक्षित हो गईं।

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