MP Election 2023 : मध्यप्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और प्रदेश का एक क्षेत्र जो बीजेपी की टॉप प्रायोरिटी में है, वो है कांग्रेस का सबसे ताकतवर क्षेत्र माना जाने वाला छिंदवाड़ा. छिंदवाड़ा, कमलनाथ का गढ़ है जहां से अभी नकुलनाथ सांसद हैं. बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री अमित शाह 25 मार्च को छिंदवाड़ा पहुंचकर रैली करेंगे. इतिहास में छांके तो अब तक सिर्फ एक बार साल 1997 में बीजेपी के सुदंर लाल पटवा ने इस लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी जबकि लगभग 60 सालों से छिंदवाड़ा, कांग्रेस का ही गढ़ बना हुआ है.
इस समय कमलनाथ के हाथ में प्रदेश कांग्रेस की कमान है. लिहाजा अब बीजेपी कमलनाथ को छिंदवाड़ा में ही कमजोर करने की कोशिश में जुट गई है. बीजेपी को साल 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर होना पड़ा था, लेकिन कांग्रेस में टूट हुई तो बीजेपी फिर सत्ता में वापस लौट आई थी. हालांकि माना जा रहा है कि एमपी में नवंबर महिने में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है, ऐसे में एक बार फिर बीजेपी के लिए छिंदवाड़ा में जमीन तलाशने के लिए अमित शाह आ रहे हैं.
अमित शाह, भारतीय राजनेता और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य हैं। उन्होंने मई 2019 से भारत के गृह मंत्री के रूप में कार्य किया है। वो अपने संगठनात्मक कौशल और राजनीतिक रणनीति के लिए जाने जानते हैं और उन्होंने भारतीय राजनीति में भाजपा के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अमित शाह ने अपना राजनीतिक जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), एक दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी संगठन के सदस्य के रूप में शुरू किया और बाद में भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने 2014 से 2020 तक भाजपा के अध्यक्ष सहित पार्टी में कई पदों पर कार्य किया है, इस दौरान उन्होंने 2014 और 2019 के आम चुनावों में पार्टी की ऐतिहासिक जीत की देखरेख की। शाह, संसद के सदस्य भी रहे हैं और गुजरात राज्य सरकार में विभिन्न पदों पर रहे हैं, जिसमें गृह राज्य मंत्री भी शामिल हैं। उन्हें भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी विश्वासपात्र माना जाता है, और उन्हें मोदी के सत्ता में आने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है।
कमलनाथ एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं। उन्होंने दिसंबर 2018 से मार्च 2020 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। नाथ कई बार भारतीय संसद के सदस्य रहे हैं, और भारत सरकार में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्य किया है। कमलनाथ कई दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं और कांग्रेस पार्टी के भीतर विभिन्न पदों पर रहे हैं। वह अपने राजनीतिक कौशल के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने मध्य भारतीय क्षेत्र में पार्टी के मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न सामाजिक और परोपकारी पहलों में भी शामिल रहे हैं। कमलनाथ विवादों से भी जुड़े रहे हैं, विशेष रूप से 1984 के सिख विरोधी दंगों में उनकी कथित संलिप्तता से संबंध माना जाता है। हालाँकि, वो कई बार ऐसे आरोपों को सिरे से नकार चुके हैं और उन्हें कभी भी किसी भी अदालत में दोषी नहीं ठहराया गया है।
बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव साल 2018 के नवंबर-दिसंबर महिने में हुए थे, और परिणाम 11 दिसंबर 2018 को घोषित किए गए थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 230 में से 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने 109 सीटों पर जीत हासिल की। हालाँकि, कुछ महिनों तक कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार चली लेकिन बड़ी संख्या में कांग्रेस विधायकों के पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के फैसले ने फिर से भाजपा को सत्ता में वापस आने का मौका दे दिया।
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