एक तरफ जहां केंद्र और प्रदेश की सरकार बच्चों को पढ़ाने और शिक्षा के लिए सुविधाएं देने के बड़े बड़े दावे करती हैं। वही आज भी कई जगह नोनिहालो को पढ़ाई के बदले स्कूल में झाड़ू-पोछा के साथ साथ झूंठे बर्तन धोना पड़ते हैं। हम बात कर रहे है मध्यप्रदेश देवास जिले के ग्राम गाजनोद खेड़ा की जहा विद्यार्थियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां स्कूल तो है लेकिन जर्जर स्थिति में है और छत की टूटी फूटी चद्दरों से पानी टपकता है। किचन शेड में मवेशियों को बाँधा जाता है और शोचालय भी अव्यवस्थाओं के चलते बंद पड़े हैं।
बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर हाटपिपल्या विधानसभा के भाजपा के विधायक और राज्य शिक्षा मंत्री दीपक जोशी के गृह क्षेत्र में अगर ये आलम है तो बाकी जगह क्या स्थिति होगी। अब देखने वाली बात यह होगी कि इन बच्चो को कोई जमीनी स्तर पर शिक्षा और सुविधा मिलेगी या फिर कागजों पर यह सिलसिला जारी रहेगा।
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