Vatsalya Ganapati Mahotsav 2024: विदिशा के प्रसिद्ध वात्सल्य स्कूल में गणपति महोत्सव 2024 का भव्य शुभारंभ हो चुका है, जो परंपरा, संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। इस वर्ष का गणपति महोत्सव 7 सितंबर से 14 सितंबर तक मनाया जाएगा, जिसमें स्कूल परिसर में विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
महोत्सव के पहले दिन का प्रारंभ स्कूल परिसर में श्रीगणेश की प्रतिमा की स्थापना से हुआ। यह आयोजन पूरी भव्यता और श्रद्धा के साथ किया गया, जहां स्कूल के छात्र, शिक्षक और स्टाफ सभी ने भाग लिया। प्रतिमा स्थापना के बाद श्रीगणेश की आरती की गई, जिसमें स्कूल परिवार ने पूरी निष्ठा के साथ भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त किया। गणपति की आरती और मंगल गान से पूरा परिसर भक्तिमय हो गया।
वात्सल्य स्कूल के इस गणपति महोत्सव की खासियत यह है कि इसे वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान न केवल धार्मिक कार्यक्रम होते हैं, बल्कि बच्चों और युवाओं के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों का भी आयोजन किया जाता है। इस महोत्सव में नृत्य, संगीत, नाटक और विभिन्न पारंपरिक कला रूपों का प्रदर्शन किया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
स्कूल के छात्रों में गणपति महोत्सव को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। वे इस पर्व को लेकर गहरी आस्था और जुड़ाव महसूस करते हैं। इस महोत्सव के दौरान विद्यार्थियों के लिए विशेष प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें उनके रचनात्मक कौशल को निखारने के लिए नृत्य, गायन और चित्रकला जैसी प्रतियोगिताएं शामिल होंगी।
वात्सल्य स्कूल का यह महोत्सव न केवल छात्रों और स्टाफ के लिए एक आनंद का समय होता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां के आयोजन विद्यार्थियों को भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की गहराईयों से अवगत कराते हैं। हर साल इस महोत्सव को नयी उमंग और नये उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिससे यह बच्चों के जीवन में खास स्थान बना चुका है।
14 सितंबर को महोत्सव का समापन होगा, जिसमें विशेष पूजा और विसर्जन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा भक्ति और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे, जो इस महोत्सव के आखिरी दिन को और भी खास बना देंगे।
वात्सल्य गणपति महोत्सव विदिशा में एक ऐसा उत्सव है, जो परंपरा, शिक्षा और संस्कृति का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है। यह केवल धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि एक संपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक है, जो विद्यार्थियों और समाज को साथ लेकर चलता है।
गणेश चतुर्थी पर पूजा विधि
गणेश चतुर्थी, जिसे ‘विनायक चतुर्थी’ भी कहा जाता है, भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, क्योंकि वे बुद्धि, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। गणेश चतुर्थी की पूजा सही विधि से करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। इस लेख में हम गणेश चतुर्थी की पूजा विधि के सभी चरणों की विस्तृत जानकारी देंगे, जिससे आप घर में पूजा कर सकें।
पूजा की तैयारी
पूजा सामग्री की सूची
संकल्प (प्रतिज्ञा)
पूजा की शुरुआत करने से पहले संकल्प लें। संकल्प करते समय हाथ में जल, फूल और चावल लें और भगवान गणेश से प्रार्थना करें कि आपकी पूजा सफल और पूरी हो। आप निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं: “ममोपात्त समस्त दुर्मित क्षयद्वारा श्री गणेश प्रीत्यर्थे गणेश पूजनं करिष्ये।”
गणेश जी का आवाहन (आमंत्रण)
भगवान गणेश को पूजा स्थल पर आमंत्रित करें। उनके स्वागत के लिए निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:”ॐ गणाध्यक्षाय नमः।”
अभिषेक (स्नान)
भगवान गणेश की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराकर साफ कपड़े से पोछें। यह चरण भगवान गणेश को शुद्ध और पवित्र करने के लिए होता है।
वस्त्र और आभूषण अर्पण
गणेश जी को वस्त्र अर्पित करें। अगर कपड़े उपलब्ध न हों, तो प्रतिमा के सामने लाल कपड़ा अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद फूल और माला चढ़ाएं, और दूर्वा घास का अर्पण करें। दूर्वा को गणेश जी के मस्तक पर रखें, क्योंकि यह उन्हें अत्यंत प्रिय है।
तिलक और अक्षत
गणेश जी की प्रतिमा पर कुमकुम और चावल (अक्षत) से तिलक करें। यह तिलक भगवान को सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
प्रसाद अर्पण
भगवान गणेश को लड्डू, मोदक या अन्य मिठाइयाँ अर्पित करें, क्योंकि मोदक गणेश जी का प्रिय भोजन है। इसके साथ नारियल, फल और पान-सुपारी अर्पित करें।
आरती और मंत्रोच्चार
भगवान गणेश की आरती करें। दीपक जलाकर भगवान के समक्ष घुमाएं और निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण करें: “ॐ गण गणपतये नमः।” आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।
प्रदक्षिणा और विसर्जन
गणेश जी की प्रतिमा के चारों ओर तीन बार परिक्रमा (प्रदक्षिणा) करें। यह भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और आशीर्वाद की प्राप्ति का प्रतीक है। अगर आप एक दिन की पूजा कर रहे हैं, तो पूजा के बाद प्रतिमा का विसर्जन करें। विसर्जन के दौरान भगवान गणेश से प्रार्थना करें कि वे अगले वर्ष भी इसी तरह आएं: “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ।”
विशेष मंत्र
“ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।”
“ॐ गं गणपतये नमः।”
विदिशा में महिला सशक्तिकरण और उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वुमन्स ग्रुप ऑफ़… Read More
विदिशा जिले की गौशालाएं अब नये स्वरूप में दिखने लगी हैं। जिला कलेक्टर रोशन कुमार… Read More
रीवा जिले के शासकीय हाई स्कूल, जवा के प्रधानाध्यापक मुन्नालाल कोल का शराब पीकर स्कूल… Read More
उत्तर प्रदेश के मेरठ से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे देखने के बाद,… Read More
Looking for the perfect school to nurture your child’s future? Vatsalya Sr. Sec. School, located… Read More
देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ही तो वहीं शिवसेना… Read More