माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को भगवती सरस्वती जी का पूजन करने का विधान है। बसंत पंचमी (Basant Panchmi) पर मां भगवती सरस्वती जी का पूजन करने का विधान है। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भारतीय समाज में काफी महत्व रहा है। पुराणों के अनुसार इस दिन ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती की सृष्टि में आवाहन किया था और देवी का प्राकृटय हुआ था तभी से देवी सरस्वती का पूजन करते हैं शास्त्रों में इस दिन को सर्व सिद्ध मुहूर्त के रूप में बताया गया है। सरस्वती विद्या बुद्धि ज्ञान और वाणी की अधिष्ठात्री देवी है तथा सर्वदा शास्त्र ज्ञान को देने वाली है। विद्या को सभी धनो मैं प्रधान धन कहा गया है, विद्या से ही अमृत पान किया जा सकता है। बसंत पंचमी पर धार्मिक कार्य का शुभ मुहूर्त होता है।
भगवती शारदा का मूल स्थान अमृतमय प्रकाश पुंज है जहां से बे अपने उपासको के लिए निरंतर 50 अक्षरों के रूप में ज्ञानामृत की धारा प्रभावित करती हैं। भगवान श्री कृष्ण के कंठ से उत्पन्न होने वाली देवी का नाम सरस्वती है। दुर्गा सप्तशती में महाकाली महालक्ष्मी और महासरस्वती के नाम से जन विख्यात हैं। भगवती सरस्वती सत्तव गुण संपन्ना है।
बसंत पंचमी के दिन सरस्वती जी का पूजन करने से विद्या बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। सरस्वती विद्या की देवी है भगवान शंकर विद्या के देवता हैं। विद्यार्थियों को बसंत पंचमी पर सरस्वती का पूजन अवश्य करना चाहिए जिन विद्यार्थियों को विद्या अध्ययन परेशानी होती हो उनको सरस्वती का पूजन बसंत पंचमी पर अवश्य करना चाहिए। बसंत पंचमी के दिन अनार की कलम से शहद से अपनी जीभ में ओम या सरस्वती मंत्र लिखने से अच्छी बुद्धि विद्या के योग बन जाते हैं।
बसंत पंचमी के दिन प्रात काल उठकर इस्नान से निवृत्त होकर भगवती सरस्वती का पूजन के साथ गणेश जी कलश षोडश मातृका नवग्रह पुस्तक लेखनी कलम दवात दीपक एवं मां भगवती सरस्वती का पूजन करना चाहिए।
देवी सरस्वती को दूध दही मक्खन धान का लावा सफेद तिल के लड्डू गन्ना गुड मधु बेर अन्य की वाल सफेद चंदन सफेद पुष्प सफेद वस्त्र चांदी के अलंकार मावा सफेद मिष्ठान्न अदरक मूली शकर चावल ऋतु फल नारियल सफेद एवं पीली वस्तु मां भगवती सरस्वती को चढ़ाना चाहिए एवं सफेद पीली वस्तुओं से ही मां भगवती का पूजन करना चाहिए एवं सुहाग की सामग्री मां सरस्वती जी को अर्पण करना चाहिए श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै नमः इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
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