Vidisha Vatsalya School Ganapati Mahotsav

वात्सल्य गणपति महोत्सव 2024: सीता स्वयंवर का मंचन, संस्कारों और संस्कृति का संगम

Vatsalya Ganpati Mahotsav 2024: वात्सल्य स्कूल में गणपति महोत्सव के दूसरे दिन का कार्यक्रम सांस्कृतिक और धार्मिक प्रस्तुतियों से भरपूर रहा। इस अवसर पर विद्यालय में ‘सीता स्वयंवर’ की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधायक मुकेश टंडन, पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार शुक्ला, जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष श्यामसुंदर शर्मा, डॉ. पीयूष श्रीवास्तव, डॉ. श्वेता श्रीवास्तव, डॉ. जे. एस. जादौन, डॉ. प्रतिभा जादौन, डॉ. रुपाली गर्ग और अनेक सम्मानित अतिथियों ने भाग लिया। देखें वीडियो-

वात्सल्य विद्यालय की संचालिका देवना अरोरा और नम्रता अरोरा ने विद्यालय के अन्य सदस्यों, प्रतीक कोहली, रुचिरा अरोरा, संजय शर्मा के साथ मिलकर अतिथियों का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। विद्यालय के हेड बॉय और हेड गर्ल ने भी अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए अतिथियों का मंच पर स्वागत किया।

गणेश जी की आरती के बाद छात्रों ने विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से कार्यक्रम में उत्साह का माहौल बनाया। संस्कृत श्लोकों से लेकर सरस्वती वंदना, ‘बेबी शार्क’ गीत की प्रस्तुति, योग (शिव डांस), और पानी बचाने का संदेश देने वाली ‘सेव वाटर’ जैसी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इन प्रस्तुतियों में मुख्य आकर्षण रामायण के प्रसंग ‘सीता स्वयंवर’ का मंचन रहा, जिसका निर्देशन गजेन्द्र आचार्य ने किया। इस प्रस्तुति ने भारतीय संस्कृति और धर्म को आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ते हुए एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। छात्रों द्वारा दी गई हर प्रस्तुति ने दर्शकों के मन में धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को प्रबल किया।

कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि विधायक मुकेश टंडन और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने वात्सल्य विद्यालय की सराहना की। अपने संबोधन में उन्होंने विद्यालय के प्रबंधन को बधाई देते हुए कहा कि यह विद्यालय सिर्फ शैक्षणिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि बच्चों को भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं से भी जोड़ता है। ऐसे आयोजनों से बच्चों में संस्कार और नैतिकता का विकास होता है, जो भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम के अंत में वात्सल्य परिवार ने सभी अतिथियों और दर्शकों का धन्यवाद व्यक्त किया। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि बच्चों को उनके संस्कार और संस्कृति से भी अवगत कराने का एक सशक्त माध्यम साबित हुआ।

इस प्रकार, वात्सल्य विद्यालय में गणपति मंच पर आयोजित ‘सीता स्वयंवर’ ने शिक्षा और संस्कृति का एक बेहतरीन संगम प्रस्तुत किया, जो आने वाले समय में भी सभी के लिए प्रेरणादायक बना रहेगा।

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