डाकू गब्बर सिंह सिर्फ प्रसिद्ध फिल्म शोले का किरदार ही बल्कि एक असली शक्सियत है। दरअसल 1950 से 1960 के दशक में चंबल के बीहड़ों में गब्बर सिंह का ठीक वैसा ही आतंक था, जैसा शोले फिल्म में दिखाया है। डाकू गब्बर सिंह ने 116 से ज्यादा लोगों की नाक काट दी थी। डाकू गब्बर सिंह का इतना खौफ था कि पुलिस तक उससे थर-थर कांपते थी- लेकिन ऐसे में एक बहादूर आईपीएस की एंट्री हुई जिसने गब्बर को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
आईपीएस केएफ रुस्तमजी ने वो कमाल कर दिखाया जो बड़े बड़े अफसर तक नहीं कर पाए- 1959 में मप्र पुलिस की कमान केएफ रुस्तमजी को सौंपी गई जिसका टारगेट था डकैतों का खात्मा- 13 नवंबर 1959 की शाम को पुलिस की एक टुकड़ी ने चंबल में गब्बर सिंह का एनकाउंटर कर दिया और 14 नवंबर यानी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को बर्थ डे गिफ्ट के रूप में इसकी सूचना दी गई।
आपको बता दें कि केएफ रुस्तम देश के इकलौते पुलिस वाले हैं, जिन्हे पद्म विभूषण अवॉर्ड से नवाजा गया है और जो 6 साल से ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री के सुरक्षा अधिकारी रहे
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