Betul

अनोखी परम्परा: बैतूल में कांटो पर लोटते हैं पांडवों के वंशज

बैतूल। इक्कीसवीं सदी में कोई कहे कि लोग सत्य की परीक्षा कांटो पर लेट कर देते है तो आपको आश्चर्य होगा लेकिन ये हकीकत है और ये हकीकत मध्य प्रदेश के बैतूल में देखने को मिलती है, जहां लोग सत्य की परिक्षा कांटो के बिस्तर पर लेट कर देते है । अगर हमे अपनी उंगली में एक काँटा भी गड़ जाये तो हम कराह उठते है, लेकिन आज हम आपको ऐसे लोगों के बारे में बताने जा रहे है जो कांटो से गुलाब की तरह खेलते है | कांटो को सिर्फ अपने हाथों से पकड़ते ही नहीं बल्कि कांटो पर लोटते है, कांटो पर सोते है और अपना आसन जमाते है | हम बात कर रहे है मध्य प्रदेश के बैतूल के रज्जढ समुदाय की जहां के लोग अपने आप को पांडवों के वंशज मानते है| पांडवो के ये वंशज हर साल अगहन मास में जश्न मानते है, दुःख जताते है और कांटो पर लोटते है।

कांटो से बनाया जाता है बिस्तर

सिर पर कांटो को ढोते ये लोग किसी मजदूरी को अंजाम नहीं दे रहे है। ये लोग जा रहे है कांटो से बने उस बिस्तर को तैयार करने जिस पर इन्हें लेटना है और लोटना है । यही कांटो का बिस्तर इनके लिए सेज है। कांटो से भरा आसन है| तभी तो बेरी के कंटीले पेड़ भी इन्हें गुलमोहर लग रहे है । अपने आप को पांडवो का वंशज मानने वाले रज्जढ इन्ही कांटो को आसन मान रहे है । समुदाय के नए युवा भी अपने बुजुर्गों की इस परंपरा को निभाते हुए फक्र महसूस करते है। उनकी माने तो कांटे होते तो बहुत नुकीले है लेकिन उन्हें इनके कंटीले होने का अहसास नहीं होता और न ही इन पर लौटने से तकलीफ होती है।

बरसों से निभाई जा रही परंपरा

दरअसल बैतूल के सेहरा गाँव में रहने वाले रज्जढ बरसों से कांटो पर लोटने की परंपरा को निभा रहे है । वे मानते है की पांडवो के वनगमन के दौरान एक वाकया कुछ ऐसा गुजरा की सारे पांडव हलाकान हो गए । बियाबान जंगल में पांडवों को प्यास ने कुछ ऐसे घेरा की महाबली भाइयो की जान पर बन आई । प्यास से गले सूखने लगे, हलक में कांटे चुभने लगे, लेकिन एक कतरा पानी भी उस बियाबान में नहीं था। पानी की तलाश में भटकते पांडव हलाकान हो चुके थे ऐसे में उनकी मुलाकात एक नाहल जोकि एक समुदाय जो जंगलो में भिलवा इकठ्ठा करने का काम करता है और भिल्वे से तेल निकालता है उससे हो गयी ।

पांडवों को पानी के लिए करनी पड़ी अपनी बहन की शादी

प्यास से परेशान पांडवो ने गला तर करने नाहल से पानी की मांग की तो नाहल ने उनके सामने ऐसी शर्त रख दी जो महाबलियों के सामने अच्छे अच्छे नहीं कर सकते थे। नाहल ने पानी के बदले पांडवो की बहन जिसे रज्जढ भोंदई बाई के नाम से पुकारते है का हाथ मांग लिया। रज्जढ़ो की माने तो पानी के लिए पांडवो ने अपनी बहन भोंदई का नाहल के साथ ब्याह कर दिया । तब जाकर उन्हें बियाबान में गला तर करने के लिए पानी मिल सका।

खुद को मानते है पांडवों का वंशज

माना जाता है की अगहन मास में पुरे पांच दिन रज्जढ इसी वाकये को याद कर गम और खुसी में डूबे होते है । वे खुद को पांडवो का वंशज मानकर खुश होते है तो इस गम में दुखी होते है की उन्हें अपनी बहन को नाहल के साथ विदा करना पड़ेगा । गाँव में शाम के वक्त इकट्ठे होकर ये लोग बेरी की कंटीली झाडिया एकत्रित करते है फिर उन्हें एक मंदिर के सामने सिर पर लाद कर लाया जाता है। यहाँ झाड़ियो को बिस्तर की तरह बिछाया जाता है और फिर उस पर हल्दी के घोल का पानी सींच दिया जाता है । इसके बाद खुद को पांडव समझने वाले रज्जढ नंगे बदन एक एक कर काँटों में लोटने लगते है। काँटों की चुभन पर न सिसकी और न कोई कराह । काँटों में किसी नर्म बिस्तर की तरह ये लोग गोल घूम जाते है यही वजह है की इस परंपरा को देखने वाले भी हैरान हो जाते है |

समाज करता है परंपरा का सम्मान

अपनी इस पूरी प्रक्रिया के दौरान रज्जढ अपने हाथों में महाबली भीम की तरह गदा यानी मुशल रखे होते है तो कोई अर्जुन की तरह तीर कमान हाथों में थामे रहते है । काँटों में लेटने के बाद ये लोग एक महिला को भोंदई बाई बनाकर उसे विदा करने की रस्म पूरी करते है । इस दौरान बाकायदा दुःख जताने के लिए कांटो पर लोटना तो होता ही है महिलाओ का खास रुदन भी होता है । यहाँ लोग अपनी मनोतिया लेकर भी पहुंचते है । कोई संतान सुख चाहता है तो कोई धन धान्य और प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए यहाँ पहुचता है । लोग इसे अंधविश्वास तो मानते है लेकिन इसे समाज की परंपरा बताकर आस्था का सम्मान भी करते है।

पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही परंपरा

पुरानी परम्पराओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पंहुचा रहे रज्जढ़ो की ये रस्म बैतूल के दर्जनों गांवो में देखने को मिलती है, जहां ये लोग कांटो पर लोटते है।

Recent Posts

विदिशा: महिला सशक्तिकरण को समर्पित वुमन्स ग्रुप का विंटर मेला संपन्न

विदिशा में महिला सशक्तिकरण और उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वुमन्स ग्रुप ऑफ़… Read More

December 18, 2024

नये स्वरूप में दिखने लगी हैं विदिशा ​जिले की गौशालाएं

विदिशा जिले की गौशालाएं अब नये स्वरूप में दिखने लगी हैं। जिला कलेक्टर रोशन कुमार… Read More

December 15, 2024

शिक्षा के मंदिर में शराबी प्रधानाध्यापक का तमाशा, रीवा जिले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल

रीवा जिले के शासकीय हाई स्कूल, जवा के प्रधानाध्यापक मुन्नालाल कोल का शराब पीकर स्कूल… Read More

December 8, 2024

मेरठ में शाकाहारी परिवार को रेस्टोरेंट में परोसा गया नॉनवेज, वीडियो देखकर उड़ा जाएंगे होश

उत्तर प्रदेश के मेरठ से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे देखने के बाद,… Read More

December 8, 2024

Vatsalya Sr Sec School Vidisha | Admissions Open for 2024-25 – Hurry Up!

Looking for the perfect school to nurture your child’s future? Vatsalya Sr. Sec. School, located… Read More

December 8, 2024

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी की शिरकत

देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ही तो वहीं शिवसेना… Read More

December 5, 2024