पूरे 9 दिन रहेंगे नवरात्र 2020, लाॅकडाउन कर्फ्यू का रहेगा साया

इस बार 25 मार्च से 2 अप्रैल तक चलने वाले नवरात्रों में किसी भी तिथि का क्षय नहीं है अर्थात नवरात्र पूरे 9 दिन ही होंगे। यही नहीं इस अवधि में पड़ने वाले, 4 सर्वार्थ सिद्धि योग, 4 रवि योग तथा एक गुरु पुष्य योग इसे ओर भी शुभ बना रहे हैं। इस संयोग भरे नवरात्र में की गई पूजा अर्चना का विशेष लाभ प्राप्त होगा।

वरात्र का पर्व ऋतु परिवर्तन का भी सूचक है। सर्दियों से गर्मियों की यात्रा आरंभ होने का समय है। मौसम बदलने से हर तरह के संक्रमण भी समाप्त होने लगते हैं। कोरोना वायरस जो दिसंबर 2019 में सर्दियों में आया था, अप्रैल की गर्मियों और नवरात्रों में होने वाले यज्ञों के प्रभाव से प्रस्थान कर जाएगा।

25 मार्च बुधवार से विक्रम नवसंवत्सर 2077 की शुरुआत होगी। इसी दिन से वासंतिक नवरात्र भी शुरू होगा। इस बार के नवसंवत्सर का नाम प्रमादी है। इस बार नव संवत्सर पर बुध का प्रभाव रहेगा। मान्यता है कि चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि जिस दिन होती है उसी दिन जो वार होता है वही संवत्सर का राजा माना जाता है।

प्रमादी संवत का राजा बुध और मंत्री चंद्रमा है। इस संवत्सर में सस्येश गुरु, दुर्गेश चंद्र, धुनेश गुरु, रसेश शनि और धान्येश बुध है। संवत्सर भारत के प्रति विश्व का आकर्षण बढे़गा। नवसंवत्सर के राजा बुध होने से तकनीकी क्षेत्र में देश को बड़ी उपलब्धि प्राप्त होगी।

माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि में भगवान राम और मां दुर्गा का जन्म हुआ था। साल में दो बार शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि का व्रत रखते हैं। चैत्र नवरात्र हर वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि 24 मार्च दोपहर 2:57 बजे से शुरु हो रहे हैं। चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 24 मार्च दोपहर 2:57 बजे से शुरु होकर 25 मार्च दोपहर 5:26 बजे तक रहेगी। इस बार चैत्र नवरात्रि के व्रत में किसी भी तिथि का क्षय नहीं है। भक्त पूरे नौ दिनों तक मां की पूजा अर्चना और व्रत कर पाएंगे।

घट स्थापना मुहूर्त समय

चैत्र नवरात्र पूजन का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है. शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत हो कर संकल्प किया जाता है. व्रत का संकल्प लेने के पश्चात मिटटी की वेदी बनाकर जौ बौया जाता है. इसी वेदी पर घट स्थापित किया जाता है. घट के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन किया जाता है. तथा “दुर्गा सप्तशती” का पाठ किया जाता है. पाठ पूजन के समय दीप अखंड जलता रहना चाहिए. इस वर्ष घट स्थापना 06 बजकर 23 मिनट से लेकर 07 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. इसके पश्चात अभिजित मुहुर्त में भी स्थापना की जा सकती है.

इस वर्ष अभिजीत मुहूर्त (11.58 से 12.49) है, जो ज्योतिष शास्त्र में स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है, परंतु मिथुन लग्न में पड़ रहा है अत: इस लग्न में पूजा तथा कलश स्थापना शुभ होगा। अत: घटस्‍थापना 10.49 से 13.15 तक कर लें, तो शुभ होगा।

चैत्र नवरात्र तिथि

  • पहला नवरात्र, प्रथमा तिथि, 25 मार्च 2020, दिन बुधवार
  • दूसरा नवरात्र, द्वितीया तिथि 26 मार्च 2020, दिन बृहस्पतिवार
  • तीसरा नवरात्रा, तृतीया तिथि, 27 मार्च 2020, दिन शुक्रवार
  • चौथा नवरात्र, चतुर्थी तिथि, 28 मार्च 2020, दिन शनिवार
  • पांचवां नवरात्र , पंचमी तिथि , 29 मार्च 2020, दिन रविवार
  • छठा नवरात्रा, षष्ठी तिथि, 30 मार्च 2020, दिन सोमवार
  • सातवां नवरात्र, सप्तमी तिथि , 31 मार्च 2020, दिन मंगलवार
  • आठवां नवरात्रा , अष्टमी तिथि, 1 अप्रैल 2020, दिन बुधवार
  • नौवां नवरात्र नवमी तिथि 2 अप्रैल, 2020 दिन बृहस्पतिवार

चैत्र नवरात्र में बन रहे हैं शुभ योग

इस बार ये योग एक साथ काफी वर्षों बाद आ रहे हैं अतः ये नवरात्र अधिक फलदायी होंगे। सिद्ध योग में मिलेगी सफलता
इस बार चैत्र नवरात्र में चार सर्वाथसिद्धि योग, एक अमृतसिद्धि योग और एक रवियोग बन रहा है। इस तरह से वासंतीय नवरात्र में6 सिद्ध योग बन रहे हैं। इन दिनों पूजा, उपासना और किसी कार्य को आरंभ करना काफी शुभ माना जाता है।

  • 26 मार्च द्वितीया तिथि के दिन सर्वाथसिद्धि योग है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का उत्तन फल मिलेगा।
  • 27 मार्च को तृतीया तिथि के दिन भी सर्वाथसिद्धि योग रहेगा। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा से उत्तम फल की प्राप्ति होगी।
  • 29 मार्च को पंचमी तिथि के दिन रवि योग बन रहा है। इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने से सभी कामनाओं की पूर्ति होतीहै।
  • 30 मार्च को छठ तिथि के दिन सर्वाथसिद्धि योग बन रहा है। इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करने से मनोकामनाओं की पूर्तिहोती है।
  • 30 मार्च को सर्वाथसिद्धि योग के साथ अमृतसिद्धि योग भी बन रहा है। इसलिए नवरात्र के इस दिन का विशेष महत्व है।
  • 31 मार्च को सप्तमी तिथि के दिन सर्वाथसिद्धि योग बन रहा है। इस दिन देवी कालरात्रि की पूजा करने से कार्यों में सिद्धि मिलतीहै।
  • 2 अप्रैल को गुरु पुष्य योग में रामनवमी का उत्सव एवं नवरात्रों का समापन हो रहा है जो इस दिवस को और शुभ एवं कल्याणकारी बना रहा है

 नवरात्रों में नहीं बजेगी शहनाईयां

अक्सर यह मान्यता रहती हैे कि नवरात्रों में बिना मुहूर्त देखे विवाह कर लिया जाए परंतु इस वर्ष, 14 मार्च से 2 अप्रैल तक मलमास के करण ऐसे मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे। अप्रैल में पहला वैवाहिक मुहूर्त 15 अप्रेैल से आरंभ होगा।

वर्तमान में पूरे विश्व को भयभीत करने वाली करोना महामारी की भविष्यवाणी आज से लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व नारद संहिता में कर दी गई थी यह भी उसी समय बता दिया गया था के यह महामारी किस दिशा से फैलेगी भूपाव हो महारोगो मध्य स्यार्धवृष्ट य। दुखिनो जंत्व सर्वे वत्स रे परी धाविनी।। अर्थात परी धावी नामक संवत्सर में राजाओं में परस्पर युद्ध होगा और महामारी फैलेगी बारिश असामान्य होगी व सभी प्राणी दुखी होंगे।

इस महामारी का प्रारम्भ 2019 के अंत में पड़ने वाले सूर्यग्रहण से होगा बृहत संहिता में वर्णन आया शनिश्चर भूमिप्तो स्कृद रोगे प्रीपिडिते जनाः अर्थात जिस वर्ष के राजा शनि होते है उस वर्ष में महामारी फैलती है । विशिष्ट संहिता में वर्णन प्राप्त हुआ के जिस दिन इस रोग का प्रारम्भ होगा उस दिन पूर्वा भाद्र नक्षत्र होगा यह सत्य है के 26 दिसंबर 2019 को पूर्वाभाद्र नक्षत्र था उसी दिन से महामारी का प्रारंभ हो गया था क्योंकि चीन से इसी समय यह महामारी जिसका की पूर्व दिशा से फैलने का संकेत नारद संहिता में दे रखा था शुरू हुई थी।
विशिष्ट संहिता के अनुसार इस महामारी का प्रभाव 3 से 7 महीने तक रहेगा परंतु नव संवत्सर के प्रारम्भ से इसका प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा अर्थात भारतीय नव संवत्सर जिसका नाम प्रमादी संवत्सर है जो कि 25 मार्च से प्रारंभ हो रहा है इसी दिन से करोना का प्रभाव कम होना प्रारम्भ हो जाएगा।

 

– पंडित गिरिश व्यास

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