चंदन की खेती आपको कम इन्वेस्टमेंट में लखपति क्या, करोड़पति भी बना सकती है। यदि अनुभव के आधार पर बात करें तो चंदन की इस खेती में सबसे ज्यादा फायदा होता है। चंदन की रसदार लकड़ी की कीमत लगभग 7 हजार रुपए प्रति किलो होती है और एक पेड़ से पौने तीन लाख रुपए तक की लकड़ी निकलकर बिक सकती है। यानि की यदि एक एकड़ जमीन पर 400 पेड़ लगाये जाते और उनमें से यदि 300 पेड़ों की लकड़ी भी बेची गई तो 8 करोड़ 25 लाख रूपयों की कमाई की जा सकती है।
चंदन के पेड़ की जड़ से लगभग 3 लीटर तेल निकलता है जो कि सबसे महंगी चीज मानी जाती है। बाजार में चंदन के तेल का भाव 2 लाख रुपए लीटर तक है। तेल के अलावा इसके बीज भी महंगे दामों में बिकते है। चंदन का इस्तेमाल इत्र, औषधी, धूप, ब्यूटी प्रोडक्ट आदि भी बनाने में भी किया जाता है।
(How to to sandalwood Farming?)
चंदन की खेती के लिए एक एकड़ जमीन में लगभग 400 पेड़ लगाए जा सकते हैं। बीजों को बोकर या फिर किसी जगह से पौधे लाकर भी चंदन की खेती की जाती है। विशेषज्ञों की मानें तो चंदन का पेड़ लाल दोमट की गिली मिट्टी में अच्छा उगता है। पीएच लेवल की बात करें तो इसके लिए 7 से 8.5 पीएच वाली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है।
(How much investment in Sandalwood Farming?)
इन्वेस्टमेंट की बात करें तो, 1 एकड़ जमीन में लगभग 400 पौधे लगाने पर अनुमानित 20 हजार रूपयों का खर्च होगा। क्योंकि चंदन का एक पौधा लगभग 50 रूपए का पड़ता है। और अब लगभग 50 हजार रुपए खाद के लिये खर्च होंगे। यानी की खाद बीज का कुल खर्च 70 हजार रूपए होगा। पौधों की सुरक्षा के लिये भी आपको कुछ ना कुछ तो करना होगा। सबसे अच्छा तरीका है खेत के चारों ओर फेंसिग लगाना। इसके साथ साथ यदि आप चाहें तो किसी व्यक्ति को भी जिम्मेदारी सौंपी सकते है जिससे की किसी भी तरह की लापरवाही सुरक्षा को लेकर नहीं बरती जा सके।
चंदन लगाने के पंाचवे वर्ष से ही लकड़ी बनना शुरू हो जाती है और उसके लगभग 7 से 10 वर्षों के बाद यानी की 12 से 15 साल के बीच चंदन का पेड़ बिकने के लिए तैयार हो जाता है।
(Insurance of sandalwood trees)
आपके द्वारा की जा रही चंदन की खेती के लिये भी पेड़ों का इंश्योरेंस कराया जा सकता है क्योंकि इन पेड़ों के चोरी होना का खतरा ज्यादा रहता है। यदि इंश्योरेंस रहेगा तो आप निश्चिंत होकर अपने अन्य कामों में व्यस्त रहे सकते हैं।
(When to do Sandalwood Farming ?)
अप्रैल और मई यानि की वर्ष के चैथे और पांचवे महिने में खेती को जोतने की प्रक्रिया से शुरूवात की जाती है। वहीं क्यारियों के बीच लगभग 40 सेन्टीमीटर की अनुमानित दूरी तय करनी चाहिए।
यदि बात करें सिचांई की तो चंदन के पेड़ों को गर्मी के मौसम में भरपूर सिंचाई की जरूरत होती है और बारिश के मौसम में इन पेड़ों का विकास तेजी से होता है। सिंचाई यदि अच्छी होती है तो फसल भी उतनी ही अच्छे आयेगी। चंदन की खेती के लिये ड्रिप इरीगेशन सिस्टम को सर्वोच्च मना गया है। क्योंकि इससे पानी की काफी मात्रा में बचत होती है और हर हिस्से तक पर्याप्त पानी पहुंच जाता है। लेकिन कितना पानी देना है उसका ध्यान रखना बेहत जरूरी होता है।
यह बात सच है कि चंदन का पेड़ लगभग लगभग 15 से 20 वर्षों का समय लेकर तैयार होता है लेकिन अपने वह कहावत तो सुनी होगी की सब्र का फल मीठा होता है। तो आपके द्वारा लगभग 15 वर्षों पहले किया गया लाखों का इनवेस्टमेंट अब करोड़ों में तब्दील हो चुका होता है।
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