कार्यकाल वृद्धि के कारण बूढ़े कंधो पर जिम्मेदारी का बोझ

हमारे देश में अनुभवी लोगों की एक बड़ी संख्या है जिनमें से ज्यादातर का कहीं भी किसी भी क्षेत्र में उपयोग नहीं किया जा रहा है सेवा निवृत्त होने के बाद भी कई लोग काम करने के लिए इच्छुक होते हैं। उच्च बेरोजगारी दर से भुखमरी, प्रवास, आपराधिक मामले, आत्महत्या, मानसिक बीमारी की समस्या बढ़ती है।

जब विभाग खाली पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरु करते हैं तो उनकी भर्ती प्रक्रिया में शायद इतनी कमियां होती है कि उन्हें वह प्रक्रिया या तो आगे के लिए टाल दी जाती है या फिर रद्द ही करनी पड़ती है। यह भर्तियां 3 से 4 साल तक भी टक जाती है जिसके कारण कर्मचारी की रिटायरमेंट अवधि 2 से 5 साल तक और बढ़ा दी जाती है। नई भर्तियां इसलिए भी नहीं हो पाती हैं क्योंकि बड़ी संख्या में एक साथ रिटायरमेंट के विभिन्न फंडो के भुगतान की समस्या आती है इसलिए भी सरकार रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ा देती है।

शायद आज से कुछ दशकों बाद एक बड़ी आवादी सेवानिवृत्त बुजुर्गों की होगी और इस बारे में कोई दीर्घ नीति बनाने की जरूरत जिम्मेदारों को है। एक युवा देश के बुजुर्ग देश में तब्दील होने से पहले सरकार को संपूर्णता में सेवानिवृत्ति की उम्र पर विचार करना चाहिए।

यहां इस समस्या से दूसरी ओ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जी ने दिल्ली से थोड़ी दूर दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फोन फैक्ट्री का उद्घाटन किया जिसे मेक इन इंडिया प्रोग्राम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था को कई फीसदी उच्चतम स्तर पर ले जाने के लिए मदद करेगा। इससे आगामी कुछ सालों में बड़ी संख्या में युवाओं को नौकरियां मिलने की उम्मीद है जिसका सीधा असर मेक इन इंडिया प्रोग्राम को मजबूत करने में होगा। भारत में विदेशी उत्पादों जैसे की स्मार्टफोन, टेलीविजन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की खपत बढ़ेगी।

गौरव शर्मा
युवा पत्रकार

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