भोपाल, 12 जून। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल द्वारा ‘कभी खुशी कभी गम: सुखी एवं सफल जीवन के नुस्खे’ विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में मुंबई के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डाॅ हरीश शेट्टी शामिल हुए। स्वागत वक्तव्य में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो केजी सुरेश ने युवाओं को बताया कि जीवन एक सांप सीढ़ी के खेल की तरह है और जीवन में लगातार उतार चढ़ाव आते रहते हैं इसीलिए चिंतित रहने की जरूरत नहीं है। प्रो सुरेशन ने युवाओं को कठिन परिस्थितियों में हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की प्ररणा दी और कहा कि – जब आप रोते हैं तो अकेले रोते हैं, लेकिन जब आप हंसते हैं तो दुनिया खुद व खुद हंसकर खुश हो जाती है। डाॅ हरीश शेट्टी द्वारा कही गई मुख्य बातें –
डर जब आता है पहचानते हैं, स्वीकारते हैं तो कम हो जाता है लेकिन स्वीकार नहीं कर पाने पर यह डर बढ़ जाता है और शरीर पर इसका रिएक्शन हो जाता है इसीलिए आत्मविश्वास का पहला नियम है, डरना नहीं।
1200 ग्राम का मष्तिक्ष भगवान ने सबको दिया है। अपनी परिस्थिति को स्वीकारें जिसे आप उसे जरूर बदलेंगे। आपको आप पर विश्वास होना ही चाहिए। खुशी 24 घंटे नहीं मिलती, लेकिन आत्मविश्वास बनाए रखें।
प्यार करो यारों लेकिन कोविड के टाइम ब्रेकअप, प्रपोज ना करना। ये युवा की उम्र क्या है प्यार का अहसास होता है। लेकिन पढ़ाई और भविष्य गलत दिशा में चला जाता है। शिक्षक ऐसा सिखाएं कि बच्चे भागकर काॅलेज-स्कूल आकर सीखें।
जो उंगलियों से खेलता है उसका हाथ पैर कमजोर होता है। इस जवानी में दौड़ोगे तो बुढ़ापे में चल सकोगे। घर के काम में हाथ बटांए और माता-पिता का ख्याल रखना चाहिए।
जो भावना बांटते हैं वहां बंधन पैदा होता है। अपने मन की बात सकारात्मक उर्जा के साथ खुलकर परिवार को बोलें और साथ में सोचें क्योंकि डर के आगे जीत है।
जो बह गया वो पानी है, जो रह गया वो ज़हर है। खराब परिस्थिति में किसी का रोना भी सामान्य है क्योंकि वह जितना रोता है वह उतने जल्द सामान्य हो जाता हैं। जीवन में जरूरी – योग, व्यायाम, खान-पान, नींद। छोटा सा सगड़ा हुआ, समय गुजरने के बाद फिर से बात करो। अपना टाइम जरूर आएगा।
सुख से तात्पर्य क्या है, सुख और सफलता किसको कहते हैं? – अंदर से जब मैं सोता हूं तो आज का दिन अच्छे से जिया। खुशी एक बायप्रोडक्ट है। इसीलिए सुख का पीछा करें। सफलता एक व्याख्या है, अपने हिसाब से काम करें। लोगों से अच्छे संबंध रखें।
स्ट्रेस और डिप्रेशन से झुटकारा कैसे पाएं? – भावना व्यक्त करते रहें। लोगों से जितना हो सके बात करें। योग-व्यायाम काफी अच्छा है। हर दिन 5 हजार कदम जरूर चलें। इलाज के लिए मूल कारण जानना जरूरी है।
स्ट्रेस यानी – काम करने में गुस्सा आना, इच्छा नहीं होना, कुछ समय का आराम चाहते है। एंज़ाइटी यानी – दिल तेज धड़कना, किसी से डर, मन की बात खुलकर ना बोल पाना, चक्कर आना।
लाइफस्टाइल में बदलाव लाने से यह सब दूर कर सकते हैं। सच को स्वीकारें। अपेक्षा ज्यादा ना करते हुए बस हर चीज़ में खुश रहें अपने जीवन पर फोकस करें। अपने से पहले प्यार करें।
ब्रेन पावर कैसे बढ़ाएं।
पतंजलि ने योग, भगवान बुद्ध ने ध्यान करना सिखाया। बच्चों को प्रोटेक्टिव शील्ड में नहीं रखें, उनको खुलकर जीने दें।
मूड स्विंग होना यानी गुस्सा जल्द आना। ऐसे में कुछ समय तक अपने आप राहत नहीं मिलने पर इलाज के लिए साइकेट्रिस्ट को दिखाना जरूरी है। मूड स्विंग होने पर कारण को जानने के बाद ही उसका जड़ से उपचार किया जा सकता है।
युवाओं, आप में काफी क्षमता है। याद रखना अपना टाइम आएगा। गो फाॅर इट लेकिन साथ साथ मन का ख्याल जरूर रखें। सभी समाज को साथ लिए, आगे है बढ़ते जाना। अपना जलवा दिखाना…..
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