इंदौर। मध्यप्रदेश के दूसरे सबसे बड़े बनेडिया तालाब में 700 नाव को एक साथ पानी में उतारा गया। मछली पकड़ने के लिए जाल डालने एक साथ उतारी गई नाव। तालाब का पानी खत्म होने के दौरान इसी जगह पर होती है खेती। देपालपुर की 300 व बनेडिया की 400 नाव शामिल।
देपालपुर व बनेड़िया के माझी भोई समाज के लोगों का पेट पालने वाला यह तालाब समाज के लिए वरदान है क्योंकि इस तालाब में पानी भर जाने के बाद सिंघाड़े, मछली पालन तथा पानी खाली होने के बाद चने की खेती होती है। बारिस की सुरुआत में करीब 6 माह पूर्व माझी समाज-जन जो देपालपुर बनेडिया के 18 वर्ष से बड़े बालिग इक्कट्ठे होकर करीब25 लाख से अधिक राशि एकत्रित करके करोड़ों मछली के बीज इस तालाब में डालते हैं। यही इनकी फसल 6 माह बाद लगभग 500 ग्राम से लेकर 4 किलो तक कि हो जाती है वही पहले पानी भरा होने पर छोड़ी हुई मछली काफी बड़ी हो जाती है ।
माझी समाज शुक्रवार को एक साथ जिनके शेयर रहते सभी मीटिंग करके दिन ओर समय तय करके एक साथ जाल डालने के लिए देपालपुर की 300 व बनेडिया की 400 के लगभग नावों (डोंडी) में सवार होकर जाल डालने जाते हैं । जब यह जाल डालने की प्रक्रिया शुरू होती है तब यहां एक बहुत ही सुंदर नजारा देखने को मिलता है आगे पीछे हाथ से नाव चलाकर सैकड़ों की संख्या में नावें पानी में चलती है तो रोमांचकारी दृश्य सा बन जाता है ।
देपालपुर का बनेडिया तालाब। हजारों किसानों के साथ माझी भोई समाज के लोगों के लिए सिंघाड़े की खेती व मछली पालन से इनकी आजीविका चलाने के लिए तालाब बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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