सीरवी समाज की महिलाओं ने पारंपरिक रूप से रखा तीज व्रत

PUNE | पुणे : लोहेगांव स्थित कलवड़ क्षेत्र में सीरवी समाज की महिलाओं ने व्रत रखकर तीज माता की कथा सुनी और फिर निंबड़ी पूजी के बाद चंद्र दर्शन किये। सीरवी जय भवानी सेवा संस्था महिला मंडल अध्यक्ष प्रमिला भूपेंद्र सीरवी ने बताया की अखण्ड सुहाग व मनोवांछित वर की कामना से जुड़ा राजस्थानी प्रवासी का प्रमुख लोक पर्व बड़ी तीज बुधवार को पारंपरिक रूप से मनाया गया। बताया गया कि बिना अन्न-जल ग्रहण किए अपनी मनोकामना अनुरूप तीज का व्रत रखा जाता है। चन्द्र प्रधान व्रत होने के कारण तीजणियों ने रात को चन्द्रमा के दर्शन होने पर चन्द्रमा की पूजा अर्चना की।

सूर्यास्त के बाद तीजणियों ने परिवार की बुजुर्ग व वरिष्ठ महिलाओं से तीज, गणेश व धमोली की कथाएं सुनीं व तीज मनाने का महत्व समझा एवं सतु वितरण के साथ सुहागिनों ने तीज माता से अपने सुहाग की कुशलता की कामना की व चन्द्रमा के दर्शन कर व्रत खोला। चन्द्रोदय होने पर हाथों में मेहंदी रचाकर व सुहाग के प्रतीक लाल वस्त्र पहनकर तलाई में दूध डाल कर नीमली के दर्शन किए। बाद में सत्तू, नींबू, काचरे व मोती के दर्शन कर चन्द्रमा को अघ्र्य दिया। उन्होंने अपने सुहाग की कुशलता की प्रार्थना की। वही कुंआरियों ने चन्द्रमा की पूजा कर सुयोग्य वर की कामना की। इससे पूर्व तीजणियों ने घरों में बेसन, गेंहूं, चावल व सूजी से बने सत्तू की मिठाइयां बनाई। बाद में तीजणियों ने आक के पत्तों पर सत्तू, सेव-केले का भोजन ग्रहण किया।

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