रूड़की। शिक्षा नगरी के नाम से मशहूर रूड़की शहर में छोटे बच्चे अब सुलोशन और वाइटनर की नशे की चपेट में आ रहे है। बता दें कि टायर पंचर को सुधारने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाले सुलोशन तथा काॅपी में इस्तेमाल किया जाने वाले वाइटनर अब बच्चों के नशे का साधन बन चुका है, रूड़की शहर में कई जगहों पर लगभग 8 साल से 15 वर्ष की उम्र के बच्चों को इस नशे का सेवन करते हुए देखा जा सकता है।
रूड़की आबकारी निरीक्षक मानवेन्द्र पंवार ने बताया कि इन चीजों को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद पूरे उत्तराखंड में प्रतिबंधित कर दिया गया है और यदि कोई इन्हे बेचता पाया जाता है तो चालानी कार्रवाई के साथ ही जेल भेजने तक का भी प्रावधान है।
बड़ी बात यह है कि हाईकोर्ट के प्रतिबंध निर्देश के बाद भी सुलोशन और वाइटनर, दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हो रहे है जिसके कारण देश की नई पीढ़ी इन नशों की चपेट में आकर बर्बाद हो रही है। हैरानी की बात यह भी है कि हर दिन नशे की चपेट में आने वाले बच्चों को शहर में घूमते हुए देखा जाता है लेकिन प्रशासन द्वारा इसकी रोक के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया जाता है।
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