गंगा दशहरा पर हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

गंगा दशहरा पर हरिद्वार में सुबह से ही गंगा स्नान के लिए श्रद्वालुओं की भीड़ उमड़ती देखी गई। पंडित शक्तिधर शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान कर दान पुण्य करने से मानव को मोक्ष की प्राप्ती होती है तथा पितृ तर्पण का भी विशेष महत्व बताया गया है।हरिद्वार जिला अधिकार दीपक रावत ने बताया कि गंगा स्नान पर्व को लेकर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए है। जानकारी के मुताबिक मेला क्षेत्र को 13 ज़ोन और 40 सेक्टर मे विभाजित किया गया है।

गंगा दशहरा पर हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
Pandit Shaktidhar Shashtri
गंगा दशहरा पर हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
Haridwar DM Deepak Rawat

 

 

 

 

 

 

क्‍यों मनाया जाता है गंगा दशहरा ?

हिंदू पुरणों के अनुसार ऋषि भागीरथ को अपने पूर्वजों की अस्थियों के विसर्जन के लिए बहते हुए निर्मल जल की आवश्यकता थी. इसके लिए उन्होंने मां गंगा की कड़ी तपस्या की जिससे मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हो सके. मां गंगा का बहाव तेज होने के कारण वह उनकी इस इच्छा को पूरा नहीं कर पाई. लेकिन उन्होंने कहा की अगर भगवान शिव मुझे अपनी जटाओं में समा कर पृथ्वी पर मेरी धारा प्रवाह कर दें तो यह संभव हो सकता है. उसके बाद ऋषि भागीरथ ने शिव जी की तपस्या की और उनसे गंगा को अपनी जटाओं में समाहित करने का आग्रह किया. फिर क्‍या था गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल में समा गईं और फिर ब्रह्मा जी ने शिव जी की जटाओं में गंगा को प्रवाहित कर दिया. इसके बाद शिव ने गंगा की एक चोटी सी धारा पृथ्वी की ओर प्रवाहित कर दी. तब जाकर भागीरथ ने अपने पूर्वजों की अस्थियों को विसर्जित कर उन्हें मुक्ति दिलाई.

गंगा दशहरा का महत्‍व

हिंदुओं में गंगा दशहरा का बड़ा महत्‍व है. मान्‍यता है कि इस दिन गंगा या किसी भी प‍वित्र नदी में जाकर स्‍नान, दान, जप, तप और व्रत करने से भक्‍त के सभी पाप दूर हो जाते हैं और वह निरोगी हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन आप जिस भी चीज़ का दान करें उसकी संख्‍या 10 होनी चाहिए.

गंगा दशहरा की पूजन विधिन और मंत्र

  • गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी या पास के किसी भी जलाशय या घर के शुद्ध जल से स्नान करके किसी साक्षात् मूर्ति के पास बैठ जाएं. फिर ‘ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः’ का जाप करें.इसके बाद ‘ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै स्वाहा’ करके हवन करे. फिर ‘ ऊँ नमो भगवति ऐं ह्रीं श्रीं( वाक्-काम-मायामयि) हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा.’ इस मंत्र से
  • पांच पुष्पाञ्जलि अर्पण करके भगीरथ हिमालय के नाम- मंत्र से पूजन करें. फिर 10 फल, 10 दीपक और 10 सेर तिल का ‘गंगायै नमः’ कहकर दान करें. साथ ही घी मिले हुए सत्तू और गुड़ के पिण्ड जल में डालें इसके अलावा 10 सेर तिल, 10 सेर जौ, 10 सेर गेहूं 10 ब्राह्मण को दें.

You May Also Like

More From Author