हरिद्वार की श्री गंगा सभा का इतिहास काफी प्राचीन #Special Story

हरिद्वार। विश्व प्रसिद्ध हरकी पौड़ी घाट से जुड़ी श्री गंगा सभा का इतिहास काफी प्राचीन है। दरअसल हरिद्वार के हरकी पौड़ी की देखरेख करने वाली एवं हरिद्वार में मां गंगा आरती का भव्य आयोजन करने वाली तीर्थ पुरोहितों की सबसे सर्वोच्च संस्था श्री गंगा सभा का इतिहास आजादी से भी पुराना है, श्री गंगा सभा के निर्माण की नींव उस वक्त पड़ी थी जब भारत अंग्रेजों का गुलाम हुआ करता था।

सन 1914 में अंग्रेजी सरकार के नहर विभाग में गंगा पर बांध बनाने का निर्णय किया गया था, अंग्रेजों की मंशा थी कि वह गंगा की अविरल धारा को अवरुद्ध कर के उसे कृत्रिम एवं नियंत्रित धारा के रूप में हर की पौड़ी में परवाहित करें, जिसपर आक्रोश जताते हुए हरिद्वार के स्थानीय तीर्थ पुरोहितों एवं श्रीमहंतों ने अंग्रेजों के विरोध में आंदोलन खड़ा किया, आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे भारतरत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी।

आंदोलन के परिणाम स्वरूप तत्कालीन अंग्रेज सरकार का सिहासन डोल उठा और विवश होकर अंग्रेजी हुकूमत को आंदोलनकारियों की सभी बातें माननी पड़ी।

अंग्रेजों द्वारा इस प्रकार की कोई हरकत फिरसे ना की जाए इसके लिए भारतरत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित व श्री महंतो के सहयोग से सन 1916 में श्री गंगा सभा रजिस्टर्ड की स्थापना की, तब से आज तक 103 साल बाद भी श्री गंगा सभा मां गंगा की सेवा के लिए तत्पर है।

श्री गंगा सभा द्वारा सभी प्रकार के कार्य हरकी पौड़ी पर आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान से ही चलाया जाता है। अब तक देश के कई जाने माने सेलिब्रिटी, नेता, राजनीतिज्ञ, अधिकारी श्रीगंगा सभा द्वारा आयोजित गंगा आरीत में प्रतिभाग करने हरिद्वार पहुंच चुके हैं। और श्री गंगा सभा द्वारा आयोजित सुबह शाम की आरती सबके लिए अकर्षण का केंद्र रहती है।

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